कृष्ण-शिव संग्राम


क्यों हुआ कृष्ण-शिव का संग्राम


राजा बलि का पुत्र बाणासुर बड़ा ही प्रतापी राजा था। वह शिव का भक्त था। शिव के आशीर्वाद से उसकी हजार भुजाएं थीं। शिव अपने गणों के साथ हमेशा उसकी राजधानी शोणितपुर की रक्षा करते थे।
एक बार बाणासुर को अपनी ताकत का घमंड हो गया। तब भगवान शिव ने उसके घमंड को दूर करने के लिए माया रची।बाणासुर की पुत्री उषा कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के प्रति आसक्त थी। दोनों एकांत में रमण कर रहे थे तभी बाणासुर ने उन्हें देख लिया और अनिरुद्ध को बांध लिया। 
अनिरुद्ध तो काली की कृपा से छूट गए पर कृष्ण ने अपनी सेना लेकर शोणितपुर पर आक्रमण कर दिया। यह देखकर शिव भी कृष्ण के खिलाफ युद्ध करने के लिए तत्पर हो गए। दोनों में घोर संग्राम हुआ।
तब भगवान शिव ने कृष्ण से कहा कि ऐसे तो युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकलेगा तुम मुझ पर जृम्भणास्त्र मतलब ऐसा अस्त्र जिसके प्रभाव से नींद आए छोड़ें ।
कृष्ण ने ऐसा ही किया। उसके बाद बाणासुर कृष्ण से युद्ध करने आया तो कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसकी हजार भुजाएं काट ड़ालीं। अब बाणासुर का घमड़ चूर-चूर हो गया था। 
उसने शिव से विनती की और बदले में शिव ने उसे माफ करते हुए अपने गणों में जगह दी। 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सूर्यवंशी राजा पृथु

ऋषि दुर्वासा एवं विष्णु भक्त राजा अंबरीष की कथा

भगवान परशुराम की कथा