श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग


ऐसे प्रगट हुए श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग...


श्री मल्लिकार्जुन ज्योर्तिंलिंग ऐसा तीर्थ है, जहां शिव और शक्ति की आराधना से देव और दानव दोनों को सुफल प्राप्त हुए। पुराणों में इस दिव्य ज्योर्तिलिंग के प्रागट्य की कथा है।


एक बार शंकर और पार्वती के पुत्र गणेश व कार्तिकेय के बीच पहले शादी करने के लिए विवाद हो गया। तब शंकर और पार्वती ने कहा दोनों में से जो भी इस पृथ्वी की परिक्रमा पहले करेगा उसकी शादी पहले होगी। कार्तिकेय पृथ्वी का चक्कर लगाने निकल पड़े और गणेश ने शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली। शास्त्रों में माता-पिता की परिक्रमा पृथ्वी के समान बताई गई है। अत: गणेश का विवाह सिद्धि व बुद्धि नाम की दो कन्याओं से कर दिया गया। इससे कार्तिकेय नाराज होकर श्री शैलम् पर्वत पर चले गए। कार्तिकेय को खुश करने के लिए शिव इस पर्वत पर ज्योतिर्लिंङ्ग के रूप में प्रकट हुए। यही ज्योतिर्लिंङ्ग मल्लिकार्जुन कहलाया। इसी पहाड़ी पर पार्वती भ्रमराम्बा देवी के रूप में प्रकट हुईं।


रावण का वध करने के बाद राम और सीता ने भी मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए थे। द्वापर युग में युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव ने इनकी पूजा-अर्चना की थी। राक्षसों का राजा हिरण्यकश्यप भी इनकी पूजा करता था। कालांतर में सातवाहन, वाकाटक, काकातिय और विजयनगर के राजा श्रीकृष्णदेव राय आदि राजाओं ने मंदिर पुनर्निमाण कर इसका वैभव बढ़ाया। बाद के वर्षों में मराठा शासक शिवाजी द्वारा भी मंदिर के गोपुरम का निर्माण कराया। धर्मग्रन्थों में यह महिमा बताई गई है कि श्री शैल शिखर के दर्शन मात्र से मनुष्य सब कष्ट दूर हो जाते हैं और अपार सुख प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है अर्थात् मोक्ष प्राप्त होता है।

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